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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 21

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              मेरा बाप मेरा दुश्मन 
       
            अब तक के भागौ में आपने पढ़ा  कि तान्या व विशाल ने भागकर  विवाह किया जिससे दुःखी होकर  तान्या के मम्मी पापा ने जहर खाकर  आत्महत्या करली। जब यह खबर  तान्या को मिली वह टेन्शन में आगई  और उसको ट्यूमर होगया।  तान्या की लम्बी बीमारी से मौत के बाद रमला की परवरिश के लिए  विशाल सारिका से शादी कर लेता है।

        सारिका की सहेली सलौनी रमला की सुन्दरता देखकर  उससे पैसा कमाने का लालच सारिका। को देती है। सारिका व सलौनी विक्रम  के द्वारा रमला को प्यार के जाल में फसवाते हैं। रमला उस जाल में फसकर भी सतर्क रहती है। आगे की कहानी इस भाग में पढ़िए। 

      सलौनी ने विक्रम की बताई हुई समस्या  पर सारिका से बात की। सारिका  भी परेशान होगयी।

सारिका =सलौनी मै अब इस प्लान को अलबिदा कहना चाहती हूँ। विशाल को कुछ भी मालूम  होगया तो मेरे व मेरे बेटे का भविष्य  अन्धकार में डूब जायेगा। मै कहीं की नहीं रहूँगी। मुझे अमीर नहीं बनना है।"

सलौनी= सारिका इस तरह तेरा बार बार इन्कार करना  मुझे अच्छा नहीं लगरहा है। किसी काम को पूरा करने में कुछ तो परेशानिया आती ही है। इह तरह परेशानियौ से डरकर पीछै नहीं भागते है। महनत करने वालौ की कभी हार नहीं होती है।"

सारिका= "देख मेरी बहिन मुझे जीत का हार नहीं पहनना है इसे तू अपने पास रख मुझे तो अब डर लगने लगा है। मै इस तरह के सपने देखना नहीं चाहती हूँ। मुझे माँफ करदे।"

सलौनी= देख सारिका मेरी बात ध्यान से सुन ले मै विक्रम के नकली मा बाप का इन्तजाम कर  दूँगी । तुझे टैन्शन लेने की आवश्यकता नहीं है। रमला को एक होटल में मिलवा दैगे। किसी को इसका पता नहीं चलेगा। "

             सारिका सलौनी की बात सुनकर सोचने पर मजबूर होगयी और उसकी बात मानली।

      अब सलौनी ने विक्रम को भी यहीं बात समझाई और उसने एक बुजुर्ग दम्पति को पैसौ का लालच देकर राजी कर लिया।

       सलौनी के प्लान के मुताबिक विक्रम ने रमला को फौन किया।

विक्रम= हेल्लो रमला मैने अपने मम्मी पापा से बात की थी और मैने अपने दौनौ के प्यार के बारे में बताया था। वह तुमसे मिलने को तैयार है वह बहुत जल्दी तुमको देखना चाहते हैं। अब तुम कब मिलना चाहती हो।

रमला= मै भी उनसे बहुत जल्दी मुलाकात करना चाहती हूँ  मै कल ही तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चलती हूँ। "

विक्रम= रमला घर पर नही वह एक होटल में मिलैगै।

रमला= घर पर क्यौ नही मिल सकते ? होटल में क्यौ मिलना चाहते है ,?"

विक्रम = उसका मुख्य कारण यह है कि हमारे यहाँ बहू शादी से पहले अपनी ससुराल नही आ सकती है वह पुरानी बिचारौ के है।

     इस तरह रमला भी उसकी बात मान गयी और अगले दिन ही होटल में मिलने का प्रोग्राम तय हो गया।

     समय पर सलौनी  उन बूढे़ दम्पति के साथ होटल पहुँच गयी। विक्रम रमला को लेकर होटल पहुँच गया।उसने वहाँ पहुँचकर सबसे पहले उन दोंनौ के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

       उन दौनौ ने रमला के सिर फर हाथ रखकर सदा सुहागिन हौने का आशीर्वाद दिया। और उसका नाम भी पूछा।

     विक्रम के नकली माता पिता ने उससे पूछा  " बेटी तुम्हारा नाम क्या है ? तुम्है यह हमारा नालायक बेटा कैसे पसन्द आगया। इसने हमें कल ही बताया था। अब तुम अपने  पापा को हमारे घर भेजो जिससे रिश्ते को आगे बढा़ने की तैयारी की जा सके। "

    रमला  अपना नाम बताकर  चुप होगयी।दूसरी तरफ से भी ज्यादा बात नहीं की गयी क्यौकि वह तो पेड माता पिता थे। उनको जितना बोलने को कहा गया था उतना ही बोले थे। वह तो चाबी वाला खिलौना थे जितनी चाबी भरी गयी थी उतना ही बोल रहे थे।

     उनके साथ सलौनी भी आई थी । जब रमला ने विक्रम को सलौनी के आने का कारण जानना चाहा तब वह बोला था कि यह हमारे पडौ़स में रहने के कारण आई हैं।

      पूरा प्रोग्राम शान्ति से  होगया। रमला अपने घर बापिस चलीगयी। सलौनी व विक्रम ने चैन की सा़स ली
। क्यौकि उनको डर लग रहा था कि कहीं कुछ गलत होगया तब भेद खुल जायेगा। जब इसकी खबर सारिका को मालूम हुई तब वह बहुत खुश हुई।

अब उसे कुछ भरोसा लगने लगा था कि शायद सलौनी उनके प्लान को कामयाब बनादेगी। परन्तु ईश्वर को जो मन्जूर होता है वही होता है।

      और वही हुआ। क्यौकि उस दिन रमला को विक्रम के माता पिता को देखकर कुछ संदेह हुआ था परन्तु वह चुप रह गयी थी।  परन्तु रमला को एसा महसूस होरहा था कि कुछ न कुछ गलत है।

            यही सोचकर रमला इसका पता लगाना चाहती थी।
           अब रमला विक्रम के साथ कालेज के बहाने से घूमती रहती  थी इसकी पल पल की खबर सारिका को मिलजाती थी।

   एक दिन विक्रम  रमला के घर आया था  दोनौ आपस में बात कर रहे थे उसी समय विक्रम  सारिका के बुलाने पर उसके कमरे में चलागया।

      उसका फौन रमला के कमरे में रहगया। इसी बीच विक्रम के पापा का फौन आगया । रमला ने देखा तो पापा कालिंग लिखा आरहा था ।रमला ने सोचा मै ही बात करलेती हूँ और उसनेफौन अटैन्ड कर लिया ।

रमला= मै रमला बोल रही हूँ।

विक्रम के पापा= कौन रमला? विक्की कहाँ है?

रमला= आपकी हौने वाली बहू  ! उस दिन आपसे होटल में मिली थी विक्रम के साथ ।

उधर से आवाज आई," ओ बेबकूफ लड़की तू पागल तो नहीं होगयी है । मै किसीसे नहीं मिला। तुझे कोई गलती लगरही है। मै तुझे जानता ही नहीं तो मिलूँगा कैसे।

रमला ने बात को घुमा दिया और पूछने लगी आप किस नम्बर से बोल रहे हो। तब दूसरी तरफ से नम्बर बताया गया जिसे रमला ने अपने मोबाइल में सेव कर लिया।और बोली " आपने रांग नम्बर डायल कर दिया है यहाँ कोई विक्की नहीं रहता है। यह तो मेरा नम्बर है। यह कहकर उसने फौन काट दिया।

      इसके बाद फौन बजता रहा लेकिन रमला ने नहीं उठाया। उसे साइलैन्ट कर दिया।

                           "  क्रमशः" यह भाग आपको कैसा लगा। कृपया अपनी राय अवश्य  दीजिए एवं आगे की कहानी अगले भाग  में पढ़िए।


कहानीकार  प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा ",पचौरी"


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3 Comments

RISHITA

02-Sep-2023 09:34 AM

Nice part

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madhura

01-Sep-2023 10:39 AM

Nice one

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Anjali korde

29-Aug-2023 10:56 AM

Very nice part

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